Thursday, March 20, 2025

क्रिकेट में डीआरएस कैसे काम करता है? पूरी जानकारी

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क्रिकेट में डीआरएस (डिसीजन रिव्यू सिस्टम) ने खेल को और भी रोमांचक और निष्पक्ष बना दिया है। यह तकनीक खिलाड़ियों और अंपायर्स को विवादास्पद फैसलों पर पुनर्विचार करने का मौका देती है। अगर आप जानना चाहते हैं कि क्रिकेट में डीआरएस कैसे काम करता है, तो यह ब्लॉग आपके लिए है। यहां हम डीआरएस की प्रक्रिया, तकनीक, और इसके उपयोग के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

क्रिकेट में डीआरएस कैसे काम करता है

क्रिकेट में डीआरएस कैसे काम करता है? पूरी जानकारी

डीआरएस (DRS) क्या है?

डीआरएस का पूरा नाम डिसीजन रिव्यू सिस्टम है। यह एक तकनीकी प्रणाली है, जिसका उपयोग क्रिकेट में अंपायर के फैसलों की समीक्षा करने के लिए किया जाता है। डीआरएस का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि खेल में गलत फैसलों को कम किया जा सके और सही निर्णय लिया जाए।

डीआरएस का उपयोग पहली बार 2008 में भारत और श्रीलंका के बीच टेस्ट मैच में किया गया था। इसके बाद से यह तकनीक क्रिकेट के सभी फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे, और टी20) में इस्तेमाल की जा रही है।


क्रिकेट में डीआरएस कैसे काम करता है?

डीआरएस का उपयोग तब किया जाता है जब कोई खिलाड़ी (बल्लेबाज या फील्डिंग टीम) अंपायर के फैसले से असहमत होता है। खिलाड़ी अंपायर के फैसले की समीक्षा करने के लिए डीआरएस का अनुरोध कर सकता है।

डीआरएस की प्रक्रिया को समझने के लिए नीचे दिए गए चरणों को देखें:

1. ऑन-फील्ड अपील और रिव्यू का अनुरोध

  • जब अंपायर कोई फैसला देता है और खिलाड़ी उससे सहमत नहीं होता, तो वह रिव्यू की मांग कर सकता है।
  • बल्लेबाज या फील्डिंग टीम के कप्तान को 15 सेकंड के अंदर रिव्यू का अनुरोध करना होता है।

2. थर्ड अंपायर की भूमिका

  • रिव्यू का अनुरोध करने के बाद मामला थर्ड अंपायर के पास जाता है।
  • थर्ड अंपायर विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके ऑन-फील्ड अंपायर के फैसले की समीक्षा करता है।

3. तकनीकी उपकरणों का उपयोग

डीआरएस में कई तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जैसे:

a. हॉक-आई (Hawk-Eye)

  • यह तकनीक गेंद की पिचिंग, इम्पैक्ट और स्टंप्स को हिट करने की संभावना को ट्रैक करती है।
  • हॉक-आई का उपयोग मुख्य रूप से LBW (लेग बिफोर विकेट) के फैसलों की समीक्षा के लिए किया जाता है।

b. अल्ट्रा-एज/स्निकोमीटर (UltraEdge/Snickometer)

  • यह तकनीक बल्ले और गेंद के संपर्क का पता लगाने के लिए उपयोग की जाती है।
  • अगर गेंद बल्ले को छूती है, तो स्निकोमीटर पर एक स्पाइक दिखाई देता है।

c. हॉटस्पॉट (Hotspot)

  • हॉटस्पॉट इंफ्रारेड तकनीक का उपयोग करता है, जो बल्ले और गेंद के संपर्क बिंदु को दिखाता है।
  • यह तकनीक कैच और बल्ले से गेंद के संपर्क की पुष्टि करने में मदद करती है।

d. स्लो-मोशन रीप्ले (Slow-Motion Replay)

  • थर्ड अंपायर स्लो-मोशन वीडियो का उपयोग करके कैच, रनआउट, और अन्य फैसलों की समीक्षा करता है।

4. ऑन-फील्ड अंपायर का अंतिम फैसला

  • थर्ड अंपायर द्वारा तकनीकी उपकरणों की मदद से समीक्षा पूरी करने के बाद, ऑन-फील्ड अंपायर को अंतिम फैसला दिया जाता है।
  • अगर थर्ड अंपायर को कोई स्पष्ट सबूत नहीं मिलता, तो ऑन-फील्ड अंपायर का फैसला बरकरार रहता है। इसे “Umpire’s Call” कहा जाता है।
क्रिकेट में डीआरएस कैसे काम करता है

डीआरएस के नियम और सीमाएं

डीआरएस का उपयोग करने के लिए कुछ खास नियम और सीमाएं हैं:

  1. रिव्यू की संख्या:
    • टेस्ट मैच में प्रत्येक टीम को प्रति पारी 2 रिव्यू मिलते हैं।
    • वनडे और टी20 में प्रत्येक टीम को 1 रिव्यू मिलता है।
  2. अंपायर कॉल (Umpire’s Call):
    • अगर गेंद का 50% से कम हिस्सा स्टंप्स को हिट कर रहा हो, तो ऑन-फील्ड अंपायर का फैसला बरकरार रहता है।
  3. रिव्यू का नुकसान:
    • अगर रिव्यू असफल होता है, तो टीम का एक रिव्यू खत्म हो जाता है।
  4. सिर्फ खिलाड़ी कर सकते हैं अनुरोध:
    • रिव्यू का अनुरोध केवल बल्लेबाज या फील्डिंग टीम का कप्तान कर सकता है।

डीआरएस के फायदे

  • गलत फैसलों को कम करता है।
  • खेल को निष्पक्ष बनाता है।
  • खिलाड़ियों को न्याय दिलाने में मदद करता है।
  • दर्शकों के लिए खेल को और रोमांचक बनाता है।
क्रिकेट में डीआरएस कैसे काम करता है

डीआरएस की आलोचना

हालांकि डीआरएस ने क्रिकेट को बेहतर बनाया है, लेकिन इसके कुछ आलोचक भी हैं:

  • अंपायर कॉल: कई बार “अंपायर कॉल” के कारण विवाद होता है।
  • तकनीकी सीमाएं: हॉटस्पॉट और स्निकोमीटर हमेशा सटीक नहीं होते।
  • समय की खपत: डीआरएस प्रक्रिया में समय लगता है, जिससे खेल की गति धीमी हो जाती है।

निष्कर्ष

क्रिकेट में डीआरएस कैसे काम करता है, यह समझने के बाद यह साफ है कि यह तकनीक खेल को निष्पक्ष और रोमांचक बनाने में अहम भूमिका निभाती है। हालांकि इसमें कुछ सीमाएं हैं, लेकिन डीआरएस ने क्रिकेट में पारदर्शिता और न्याय को बढ़ावा दिया है।

अगर आप क्रिकेट के फैन हैं, तो अगली बार जब डीआरएस का इस्तेमाल हो, तो आप इसे बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।

क्या आपको डीआरएस का उपयोग सही लगता है? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं!


यह ब्लॉग क्रिकेट प्रेमियों के लिए लिखा गया है। इसे शेयर करें और अपने दोस्तों को भी डीआरएस के बारे में जानकारी दें।

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