हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं का सबसे महत्वपूर्ण व्रत है। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके मनाया जाने वाला यह व्रत पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। आइए जानते हैं हरतालिका तीज व्रत 2025 की संपूर्ण जानकारी।
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हरतालिका तीज व्रत 2025 की तारीख
हरतालिका तीज व्रत 2025 में 6 सितंबर, शनिवार को मनाया जाएगा। यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। इस दिन निर्जला व्रत रखकर शिव-पार्वती की विशेष पूजा की जाती है।
व्रत का समय और मुहूर्त
तृतीया तिथि 6 सितंबर को सुबह 12:21 बजे से शुरू होकर 7 सितंबर को दोपहर 2:56 बजे तक रहेगी। व्रत करने वाली महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर पूजा की तैयारी शुरू कर देती हैं।
हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका शब्द “हरत” और “आलिका” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है – सहेली द्वारा हर लिया जाना। पुराणों के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था।
व्रत के फायदे
- सुहाग की रक्षा: पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए
- वैवाहिक सुख: दांपत्य जीवन में प्रेम और समझ के लिए
- संतान प्राप्ति: निःसंतान दंपत्ति के लिए वरदान
- मनोकामना पूर्ति: सभी इच्छाओं की पूर्ति
हरतालिका तीज व्रत विधि
प्रातःकाल की तैयारी
- स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
- साफ वस्त्र: लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें
- श्रृंगार: पूर्ण सुहागिन के रूप में श्रृंगार करें
पूजा सामग्री
- शिव-पार्वती की मूर्ति या तस्वीर
- मिट्टी का शिवलिंग
- धूप, दीप और अगरबत्ती
- फूल, बिल्वपत्र और तुलसी
- सिंदूर, हल्दी और चावल
- मिठाई और फल
पूजा की विधि
हरतालिका तीज व्रत में मिट्टी से शिव-पार्वती की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करें। 108 बार “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें और व्रत कथा सुनें। शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
व्रत की कथा का महत्व
हरतालिका व्रत कथा सुनना आवश्यक है। इसमें माता पार्वती के तप की गाथा है कि कैसे उन्होंने अपनी सहेली की मदद से गुप्त स्थान पर जाकर भगवान शिव की तपस्या की थी।
आहार और नियम
निर्जला व्रत
- पूर्ण उपवास: बिना जल के व्रत रखा जाता है
- फलाहार: कुछ महिलाएं फल का सेवन करती हैं
- सात्विक भोजन: व्रत खोलते समय सादा भोजन लें
व्रत के नियम
- दिन भर मौन रहना श्रेष्ठ है
- क्रोध और नकारात्मक विचारों से बचें
- शिव-पार्वती के भजन सुनें
- दान-धर्म का काम करें
क्षेत्रीय मान्यताएं
उत्तर भारत में यह व्रत विशेष महत्व रखता है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में महिलाएं समूह में मिलकर पूजा करती हैं। राजस्थान में इसे कजली तीज भी कहते हैं।
व्रत का समापन
हरतालिका तीज व्रत चांद देखने के बाद तोड़ा जाता है। पहले जल ग्रहण करके फिर प्रसाद लें। अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना शुभ होता है।
निष्कर्ष
हरतालिका तीज व्रत महिलाओं के लिए अत्यंत पवित्र व्रत है। इस व्रत से न केवल सुहाग की रक्षा होती है बल्कि आध्यात्मिक शक्ति भी मिलती है। माता पार्वती का आशीर्वाद पाकर जीवन में सुख-समृद्धि आती है। हर पत्नी को यह व्रत श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए।