भारत की एस-400 वायु रक्षा प्रणाली: नवीनतम अपडेट, क्षमताएं और प्रभाव

भारत की एस-400 वायु रक्षा प्रणाली: 2025 में राष्ट्रीय सुरक्षा को सशक्त करेगी

भारत की एस-400 वायु रक्षा प्रणाली देश की हवाई ढाल की रीढ़ बन गई है, खासकर बढ़ते क्षेत्रीय तनाव के बीच। मई 2025 में, एस-400 ने पाकिस्तान की ओर से एक बड़े ड्रोन और मिसाइल हमले को विफल करने में निर्णायक भूमिका निभाई, जिसने इसकी उन्नत क्षमताओं और रणनीतिक महत्व को प्रदर्शित किया।

एस-400 वायु रक्षा प्रणाली क्या है?

रूस द्वारा विकसित एस-400 ट्रायम्फ दुनिया की सबसे उन्नत लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों में से एक है। यह 400 किमी तक की दूरी और 30 किमी तक की ऊंचाई पर विमान, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और यहां तक ​​कि बैलिस्टिक मिसाइलों सहित कई तरह के हवाई खतरों का पता लगा सकता है, उन्हें ट्रैक कर सकता है और नष्ट कर सकता है। प्रत्येक एस-400 इकाई एक साथ 300 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है और एक बार में उनमें से 36 को मार सकती है।

नवीनतम परिचालन सफलता: मई 2025

इंडिया टुडे के अनुसार , 7-8 मई, 2025 की रात को पाकिस्तान ने उत्तरी और पश्चिमी भारत में कई भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए एक समन्वित हमला किया। भारतीय वायु सेना के S-400 सिस्टम, जिसे “सुदर्शन चक्र” कहा जाता है, ने इन खतरों को रोका और बेअसर किया, जिससे श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर, लुधियाना और भुज जैसे प्रमुख शहरों की रक्षा हुई। एक त्वरित प्रतिक्रिया में, भारत ने लाहौर में एक पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणाली को भी निशाना बनाया और नष्ट कर दिया।

तैनाती की स्थिति और भविष्य की डिलीवरी

भारत ने 2018 में रूस के साथ पांच एस-400 स्क्वाड्रन के लिए 5.4 बिलियन डॉलर का सौदा किया था। मई 2025 तक, चार स्क्वाड्रन तैनात किए जा चुके हैं, जो जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात सहित रणनीतिक क्षेत्रों को कवर करते हैं। अंतिम स्क्वाड्रन 2026 तक मिलने की उम्मीद है।

India के लिए एस-400 क्यों महत्वपूर्ण है?

पाकिस्तान और चीन दोनों से बढ़ते खतरों के साथ, एस-400 भारत को तकनीकी बढ़त प्रदान करता है, जो दुश्मन के हवाई हमलों और मिसाइल हमलों के खिलाफ एक निवारक के रूप में कार्य करता है। इसकी तीव्र प्रतिक्रिया और उच्च अवरोधन दर इसे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण परिसंपत्ति बनाती है।

भारत की एस-400 वायु रक्षा प्रणाली पर एक नज़र

विशेषताविशिष्टता/स्थिति
श्रेणी400 किमी तक
ऊंचाई कवरेज30 किमी तक
ट्रैक किए गए लक्ष्यएक साथ 300 तक
लक्ष्य प्राप्त हुएएक साथ 36 तक
स्क्वाड्रनों की संख्या4 तैनात, 2026 तक 1 और तैनात
प्रमुख तैनाती क्षेत्रजम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात
हालिया परिचालन उपयोगमई 2025: प्रमुख ड्रोन/मिसाइल हमले को विफल किया गया
मूलरूस
डील वैल्यू$5.4 बिलियन (2018 में हस्ताक्षरित)

India की एस-400 वायु रक्षा प्रणाली ने वास्तविक युद्ध में अपनी उपयोगिता साबित की है, देश की सुरक्षा को मजबूत किया है और विरोधियों को कड़ा संदेश दिया है। जैसे ही अंतिम स्क्वाड्रन आ जाएगी, भारत का आसमान और भी सुरक्षित हो जाएगा, जिससे एस-400 इस क्षेत्र में एक वास्तविक गेम-चेंजर बन जाएगा।


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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)

प्रश्न 1: एस-400 वायु रक्षा प्रणाली क्या है?

एस-400 रूस निर्मित लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है जो 400 किलोमीटर तक की दूरी पर विमान, ड्रोन और मिसाइलों को रोकने में सक्षम है।

प्रश्न 2: भारत के पास कितनी एस-400 प्रणालियाँ हैं?

भारत को एस-400 के पांच में से चार स्क्वॉड्रन प्राप्त हो चुके हैं, तथा अंतिम स्क्वॉड्रन 2026 तक मिलने की उम्मीद है।

प्रश्न 3: भारत की एस-400 प्रणाली कहां तैनात हैं?

पाकिस्तान और चीन से होने वाले खतरों से सुरक्षा के लिए वे जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात जैसे क्षेत्रों में रणनीतिक रूप से तैनात हैं।

प्रश्न 4: क्या एस-400 का उपयोग वास्तविक ऑपरेशनों में किया गया है?

हां, मई 2025 में, एस-400 ने पाकिस्तान द्वारा प्रक्षेपित कई ड्रोनों और मिसाइलों को सफलतापूर्वक रोका और निष्क्रिय कर दिया।

प्रश्न 5: एस-400 भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

यह हवाई खतरों के विरुद्ध एक मजबूत ढाल प्रदान करता है, तथा भारत की रक्षात्मक और निवारक क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है।

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