Nepal
दुनिया के इतिहास में कई देशों ने गुलामी का दर्द सहा है। भारत जैसे देशों ने सदियों तक विदेशी ताकतों का शासन झेला और आजादी के लिए लंबा संघर्ष किया। लेकिन भारत का पड़ोसी देश Nepal एक ऐसा देश है, जो कभी गुलाम नहीं हुआ। यही कारण है कि Nepal में स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता। आइए जानते हैं नेपाल की इस अनोखी कहानी को विस्तार से।
नेपाल: दुनिया का इकलौता देश जो कभी गुलाम नहीं हुआ और स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाता
नेपाल: छोटा लेकिन अजेय देश
Nepal भले ही एक छोटा और कमजोर देश माना जाता है, लेकिन इसकी ताकत इसकी भौगोलिक स्थिति और गोरखा सेना की वीरता में छिपी है। Nepal पर कई बार हमले हुए, लेकिन हर बार इस देश ने अपनी आजादी को बनाए रखा।
मुगलों और अंग्रेजों के हमले
Nepal पर सबसे पहला हमला 1349 में शमसुद्दीन इलियास शाह ने किया। उन्होंने काठमांडू को लूटा, लेकिन गोरखा सेना ने उन्हें जल्द ही खदेड़ दिया। इसके बाद 18वीं सदी में मीर कासिम ने भी नेपाल पर हमला किया, लेकिन उनकी सेना को भी गोरखा योद्धाओं ने हरा दिया।
अंग्रेजों ने भी Nepal पर कब्जा करने की कोशिश की। गोरखा और अंग्रेजों के बीच भयंकर युद्ध हुआ, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अंततः 1815 में सुगौली की संधि हुई, जिसमें गोरखाओं ने कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र अंग्रेजों को सौंप दिया, और अंग्रेजों ने Nepal पर दोबारा हमला न करने का वादा किया।
Nepal की भौगोलिक स्थिति: एक सुरक्षा कवच
Nepal की भौगोलिक स्थिति इसे अजेय बनाती है। हिमालय की ऊंची चोटियां और दुर्गम इलाके इसे विदेशी ताकतों के लिए चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। यही कारण है कि Nepal कभी किसी का उपनिवेश नहीं बना।
क्यों नहीं मनाता Nepal स्वतंत्रता दिवस?
दुनिया के लगभग सभी देश कभी न कभी गुलाम रहे हैं और आजादी के बाद स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। भारत 15 अगस्त को अपनी आजादी का जश्न मनाता है। लेकिन Nepal कभी गुलाम नहीं हुआ, इसलिए वहां स्वतंत्रता दिवस मनाने की परंपरा नहीं है।
Nepal : एक प्रेरणा
Nepal की कहानी हमें यह सिखाती है कि भले ही देश छोटा हो, लेकिन अगर उसके लोग साहसी और संगठित हों, तो वह अपनी आजादी को बनाए रख सकता है। नेपाल का इतिहास उसकी वीरता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।