भारतीय संयुक्त परिवार प्रणाली में देवर का रिश्ता अत्यंत विशिष्ट और सम्मानजनक माना जाता है। देवर यानी पति का छोटा भाई, जो परिवार में एक अनोखी भूमिका निभाता है। यह रिश्ता भाई-बहन जैसी पवित्रता और मित्रता का सुंदर मिश्रण होता है। आइए जानते हैं कि भारतीय समाज में देवर का क्या महत्व है और आधुनिक युग में यह रिश्ता कैसे बदल रहा है।
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देवर का पारंपरिक महत्व
भारतीय संस्कृति में देवर-भाभी का रिश्ता बेहद खास माना जाता है। भारतीय संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, हमारी परंपराओं में इस रिश्ते को बहुत सम्मान दिया गया है। देवर को भाभी के लिए रक्षक और सहायक की भूमिका में देखा जाता है।
प्राचीन ग्रंथों में भी देवर के कर्तव्यों का उल्लेख मिलता है। जब बहू परिवार में नई होती है, तो देवर उसे परिवार के साथ घुलने-मिलने में मदद करता है। यह रिश्ता भाई-बहन की तरह पवित्र और मजबूत होता है।
देवर-भाभी का रिश्ता: हंसी-मजाक और सम्मान का संगम
भारतीय परिवारों में देवर-भाभी के बीच हंसी-मजाक की एक विशेष परंपरा है। यह मजाकिया रिश्ता परिवार में खुशनुमा माहौल बनाता है। त्योहारों और पारिवारिक समारोहों में देवर-भाभी की नोक-झोंक घर में रौनक लाती है।
हालांकि, इस हंसी-मजाक की भी एक मर्यादा होती है। देवर को हमेशा भाभी का सम्मान करना चाहिए और भाभी भी देवर को अपने छोटे भाई की तरह स्नेह देती है। भारत सरकार द्वारा प्रचारित पारिवारिक मूल्यों में इन रिश्तों की गरिमा को बनाए रखने पर जोर दिया गया है।
आधुनिक युग में देवर की बदलती भूमिका
21वीं सदी में परिवार की संरचना बदल रही है और देवर की भूमिका भी विकसित हो रही है। एकल परिवारों के बढ़ते चलन के बावजूद, यह रिश्ता अपनी महत्ता बनाए हुए है। आज का देवर न केवल परिवार के प्रति जिम्मेदार है, बल्कि अपने करियर और व्यक्तिगत विकास पर भी ध्यान देता है।
आधुनिक समय में देवर भाभी के प्रोफेशनल और व्यक्तिगत विकास में सहयोग करता है। वह परिवार में एक मित्र और सलाहकार की भूमिका भी निभाता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अध्ययनों से पता चलता है कि स्वस्थ पारिवारिक रिश्ते महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

देवर के कर्तव्य और जिम्मेदारियाँ
देवर की मुख्य जिम्मेदारी परिवार में सौहार्द बनाए रखना है। उसे अपने भाई और भाभी के बीच समझ बढ़ाने में मदद करनी चाहिए। विशेष अवसरों पर देवर को भाभी का विशेष ख्याल रखना चाहिए, जैसे करवा चौथ, भैया दूज और अन्य त्योहारों पर।
भारतीय विधि मंत्रालय के अनुसार, पारिवारिक रिश्तों में मर्यादा और सम्मान बनाए रखना कानूनी और नैतिक दोनों दृष्टि से आवश्यक है। देवर को हमेशा अपनी सीमाएं समझनी चाहिए और भाभी के प्रति सम्मानजनक व्यवहार बनाए रखना चाहिए।
देवर-भाभी के रिश्ते की खूबसूरती
यह रिश्ता भारतीय पारिवारिक व्यवस्था की एक अनूठी विशेषता है। जब देवर और भाभी के बीच आपसी समझ, सम्मान और स्नेह होता है, तो पूरा परिवार खुशहाल रहता है। यह रिश्ता परिवार में एकता और प्रेम का प्रतीक बनता है।
निष्कर्ष
देवर भारतीय संयुक्त परिवार का महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह रिश्ता सम्मान, स्नेह और जिम्मेदारी पर आधारित है। आधुनिक समय में भी यह रिश्ता अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है। जब परिवार के सभी सदस्य अपने रिश्तों की मर्यादा समझें और एक-दूसरे का सम्मान करें, तो परिवार स्वर्ग बन जाता है। देवर-भाभी का यह पवित्र रिश्ता हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर है जिसे संजोकर रखना चाहिए।

