चश्मे बद्दूर हिंदी सिनेमा की एक ऐसी कालजयी फिल्म है जिसने भारतीय दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। यह फिल्म दो बार बनी है – पहली बार 1981 में और दूसरी बार 2013 में। दोनों ही संस्करण अपने-अपने समय में दर्शकों की पसंद बने।
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चश्मे बद्दूर 1981: मूल क्लासिक
1981 में प्रसिद्ध निर्देशक सई परांजपे द्वारा निर्देशित मूल चश्मे बद्दूर एक रोमांटिक कॉमेडी थी। इस फिल्म में फारुख शेख, दीप्ति नवल, राकेश बेदी और रवि बासवानी ने शानदार अभिनय किया। फिल्म की कहानी तीन दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती है जो एक अपार्टमेंट में साथ रहते हैं। जब उनकी पड़ोसी नीलम से सिद्धार्थ प्यार करने लगता है, तो उसके दोनों दोस्त उसे प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
यह फिल्म अपने प्राकृतिक हास्य, सरल कहानी और यादगार संवादों के लिए आज भी याद की जाती है। फिल्म की सफलता ने इसे हिंदी सिनेमा की क्लासिक कॉमेडी फिल्मों की सूची में शामिल कर दिया।
चश्मे बद्दूर 2013: आधुनिक रीमेक
2013 में डेविड धवन ने इस क्लासिक फिल्म का रीमेक बनाया। नए संस्करण में अली जफर, सिद्धार्थ, तापसी पन्नू और दिव्येंदु शर्मा ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं। Viacom 18 Motion Pictures के बैनर तले बनी यह फिल्म 5 अप्रैल 2013 को रिलीज हुई थी।

रीमेक संस्करण में आधुनिक युवाओं की पसंद और आज के समय के अनुसार कई बदलाव किए गए। फिल्म में गोवा की खूबसूरत लोकेशन, आधुनिक संगीत और समकालीन हास्य का सुंदर मिश्रण था। डेविड धवन ने मूल फिल्म के सार को बरकरार रखते हुए इसे नई पीढ़ी के लिए रोचक बनाया।
बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन
2013 की चश्मे बद्दूर बॉक्स ऑफिस पर सफल रही। फिल्म ने अपने पहले वीकेंड में करीब ₹183 मिलियन की कमाई की और पहले सप्ताह में ₹300 मिलियन का आंकड़ा पार किया। भारत में फिल्म ने कुल ₹420 मिलियन की कमाई की और इसे बॉक्स ऑफिस हिट घोषित किया गया।
विदेशी बाजारों में भी फिल्म ने अच्छा प्रदर्शन किया, खासकर पाकिस्तान और UAE में। यह दर्शाता है कि क्लासिक कहानियों में आज भी दर्शकों को आकर्षित करने की क्षमता है।
फिल्म की खासियत
चश्मे बद्दूर दोनों संस्करणों की सबसे बड़ी खासियत इसकी कहानी है। दोस्ती, प्यार, और प्रतिस्पर्धा का यह मिश्रण हर युग के दर्शकों को पसंद आया। मूल फिल्म की सादगी और 2013 के संस्करण की आधुनिकता दोनों ने ही अपने-अपने तरीके से दर्शकों का मनोरंजन किया।
हिंदी सिनेमा में कॉमेडी फिल्मों का हमेशा से विशेष स्थान रहा है। चश्मे बद्दूर इस बात का प्रमाण है कि अच्छी कहानी और प्रभावशाली अभिनय कभी पुराने नहीं होते।
निष्कर्ष
चाहे 1981 का मूल संस्करण हो या 2013 का रीमेक, चश्मे बद्दूर एक ऐसी फिल्म है जो पीढ़ियों को हंसाती रही है। यदि आप क्लासिक बॉलीवुड कॉमेडी के प्रशंसक हैं, तो यह फिल्म आपकी वॉचलिस्ट में जरूर होनी चाहिए। आज भी Netflix और अन्य OTT प्लेटफॉर्म्स पर यह फिल्म उपलब्ध है।
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